Trademark Registration Process काफी आसान है जिसे करने के लिए उद्दमी को इसकी जानकारी होनी चाहिए। जब आपके सामने किसी भी बिजनेस को शुरु करने की बात आती है तो आप सबसे पहले ये सोचते हैं कि किस बिजनेस को शुरू किया जाय। जब आप decide कर लेते हैं कि मुझे ये बिजनेस शुरू करना है तो आप सोचते हैं की जो उत्पाद हम बनायेंगे उसका नाम क्या रखें, फिर आप कोई अच्छा सा नाम चुनते हैं इसके बाद जब आप नाम चुन लेते हैं तो उसके बाद आप सोचते हैं की मेरी कंपनी का लोगो होना चाहिए इसके बाद आप अन्य लाइसेंस को लेने के बारे में सोंचते हैं।
कोई भी बिजनेसमैन उत्पाद बनाने से पहले उस उत्पाद का नाम और लोगो इसलिए बनवाता है ताकि मार्किट में उसका ब्राण्ड फेमस हो और इस ब्राण्ड से कोई दूसरा व्यक्ति अपना उत्पाद न बेंच पाए लेकिन इसके लिए आधिकारिक वेबसाइट से अपने ब्रांड का नाम और लोगो registered करवाना पड़ता है। हालाँकि अपने उत्पाद को बाजार में बेंचने के लिए ये जरूरी नहीं है कि आपका Trademark Registration होना ही चाहिए आप बिना ट्रेडमार्क के भी बाजार में अपने उत्पाद को बेंच सकते हैं लेकिन दिक्कत तब आती है जब आपके नाम का ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कोई और करवा लेता है।
उदाहरण के लिए जैसे आपने डिटर्जेंट पाउडर बेंचना शुरू किया उसका कोई नाम भी रख दिया लोगो भी छपवा दिया लेकिन आपने ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया आपने सोचा चलो बाद में करवा लेंगे अब आपको बिजनेस करते हुए एक साल या दो साल हो गया फिर भी आपने नहीं सोचा की ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करवा लेना चाहिए उसी बीच आपके ब्राण्ड का नाम और लोगो को किसी दूसरे डिटर्जेंट पाउडर बेंचने वाली कंपनी ने ट्रेडमार्क के अंतर्गत रजिस्टर्ड करवा लिया तो उस नाम और लोगो पर अब उसका मालिकाना हक़ है मतलब बाजार में मेहनत आपने की और मजा कोई दूसरा मार रहा है।
अगर अब भी आपको ट्रेडमार्क के बारे में समझ नहीं आया है और आप भी सोच रहे हैं कि ट्रेडमार्क क्या है? आखिर एक बिज़नस के लिए ट्रेडमार्क क्यों जरूरी है? तो आज हम आपको इस लेख में Trademark Registration process in Hindi के बारे में अच्छी तरह से बताएँगे तो आइये सबसे पहले जानते हैं कि ट्रेडमार्क क्या है ?
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Trade Mark क्या है ?
जब हम बाजार में किसी प्रोडक्ट को खरीदने जाते हैं तो उस प्रोडक्ट का नाम और लोगो हम देखते हैं कि किस कंपनी ने इस प्रोडक्ट को बनाया है इसी नाम या logo को ट्रेडमार्क कहा जाता है। Trade Mark एक ब्राण्ड या logo होता है जिसका उपयोग उद्दमी अपने द्वारा बनाये गए उत्पाद को अपने प्रतिस्पर्धी से अलग पहचान दिलाने के लिए काम करता है। आसान शब्दों में कहें तो ट्रेडमार्क किसी भी बिजनेस के लिए एक Brand Name या logo हो सकता है।
आमतौर पर किसी नाम, logo, विशेष चिन्ह, वाक्य, डिजाईन या चित्र को ही ट्रेडमार्क बनाया जाता है। कंपनी जितने भी प्रकार के उत्पाद बनाती है सब पर ट्रेडमार्क लगा होता है ट्रेडमार्क किसी भी बिजनेस, उत्पाद को पहचनाने में मदद करता है।
Trade Mark Registration क्यों जरूरी है ?
अब आप ये सोच रहे होंगे कि ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करवाना आखिर क्यों जरूरी है तो दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि आपके उत्पाद पर ट्रेडमार्क होने से ही लोगों को पता चलता है की ये उत्पाद किस कंपनी का है। ग्राहक ट्रेडमार्क को देखकर ही वस्तु की खरीददारी करता है और ट्रेडमार्क को देखकर ही पता चल जाता है कि इस उत्पाद में कोई महत्वता नहीं है इसलिए कई बार ग्राहक ट्रेडमार्क देखकर ही उत्पाद को नहीं खरीदते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि यदि आपके द्वारा बनाये गए उत्पाद में दम है तो ग्राहक बार-बार खरीदेगा और अगर उत्पाद की क्वालिटी सही नहीं है तो ग्राहक ट्रेडमार्क देखकर ही रिजेक्ट कर देगा।
Trademark Registration करवाने के फायदे
Online Trademark Registration करवाने से उद्दमी और ग्राहक को निम्न प्रकार से फायदा हो सकता है-
- प्रतिस्पर्धियों द्वारा बनाये गए उत्पाद में अंतर करने के लिए ट्रेडमार्क सहायता करता है।
- ट्रेडमार्क ग्राहक को उत्पाद की गुणवत्ता परखने में भी सहायता करता है।
- ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करवाने से उद्दमी के उत्पाद का ब्राण्ड बन जाता है।
- उद्दमी के द्वारा बनाया गया उत्पाद अच्छा होने से ग्राहक का ध्यान आकर्षित करने में ट्रेडमार्क मदद करता है।
- उद्दमी के उत्पाद का ब्राण्ड बन जाने से ग्राहक बार-बार उस उत्पाद का प्रयोग करने लगता है जिससे मार्किट में बिक्री बढ़ जाती है।
- ट्रेडमार्क पंजीकरण के द्वारा ग्राहक और उद्दमी के बीच बराबर संपर्क बना रहता है।
- ट्रेडमार्क पंजीकरण करवाने से यदि कोई दूसरा उद्दमी आपके ब्राण्ड के नाम से उत्पाद बेंचता है तो पहला उद्दमी दूसरे उद्दमी पर कानूनी कार्यवाही कर सकता है।
- ट्रेडमार्क के द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के क्वालिटी को पहचानने में मदद करता है।
- ट्रेडमार्क पंजीकरण होने से उत्पाद का Advertisement करवाने में सहायता मिलता है।
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Trademark ™ Registration के लिए कौन-कौन apply कर सकता है ?
कोई भी उद्दमी या संस्था जो बिजनेस करना चाहता है ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करवा सकता है। उद्दमी को ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करवाते समय ये ध्यान में रखना है की किसी दूसरे उद्दमी ने उस logo, symbol, tagline, डिजाईन आदि का प्रयोग न किया हो। कोई भी उद्दमी, संस्था, partnership company, एकल स्वामित्व वाली company ट्रेडमार्क के लिए apply कर सकता है।
™ और ® में अंतर क्या है ?

दोस्तों कई बार आपने बहुत सारे उत्पाद में ™ लिखा हुआ देखा होगा और कई सारे उत्पाद में ® लिखा हुआ देखा होगा चूँकि ट्रेडमार्क की औपचारिकता पूरी होने में लगभग डेढ़ से दो वर्ष का समय लगता है इसलिए जब कोई भी उद्दमी या संस्था ट्रेडमार्क के लिए apply करता है तो उस डेढ़ से दो साल के अन्दर वह उद्दमी या संस्था ™ चिन्ह का इस्तेमाल कर सकता है। जब ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब उद्दमी या संस्था ® चिन्ह का प्रयोग कर सकता है। Trademark Registration Process पूरा होने के बाद भारत सरकार आवेदन करने वाले उद्दमी के नाम से certificate जारी करता है जो 10 वर्ष के लिए वैध होता है 10 वर्ष बाद उद्दमी इसे Renewal करवा सकता है।
पेटेंट क्या है ?
दोस्तों हो सकता है जो आईडिया आपके दिमाग में आया हो कुछ दिन बाद किसी और के दिमाग में आ जाय लेकिन आईडिया उसी का माना जायेगा जो ऑफिशियली रजिस्टर्ड करवा लेता है। ऑफिशियली रजिस्टर्ड करवाने के इस प्रोसेस को ही पेटेंट कहा जाता है। कोई व्यक्ति सर्वप्रथम किसी नए उत्पाद की खोज या निर्माण करता है तो उस उत्पाद या वस्तु पर अविष्कार या खोज करने वाले व्यक्ति का एकाधिकार होता है। आईडिया को पेटेंट करवाने के बाद यदि कोई व्यक्ति आपके आईडिया को copy करता है तो यह कानूनन जुर्म है। आप उस copy करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं। पेटेंट धारक यदि चाहे तो किसी दूसरे उद्दमी या संस्था को अपना पेटेंट बेंच सकता है किसी उत्पाद या वस्तु को पेटेंट करवाने की अधिकतम सीमा 20 साल की होती है।
Trade Mark Registration के लिए आवश्यक दस्तावेज
- उद्दमी जिस नाम, लोगो, डिजाईन, ब्राण्ड को रजिस्टर्ड करवाना चाहता है उसकी copy
- आवेदक का पूरा नाम, पता, राष्ट्रीयता और Incorporation Certificate की Copy
- उत्पाद या सेवाओं का पूरा विवरण।
- यदि उद्दमी ने पहले से ट्रेडमार्क करा रखा है और पहले से उसका उपयोग किया जा रहा है तो उस ट्रेडमार्क को उपयोग में लाने की तारीख।
- आवेदक द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ Power of Attorney की copy
ट्रेडमार्क कराने की प्रक्रिया (Trademark Registration Process in Hindi)

ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन दो तरीके से किया जा सकता है पहला ऑफलाइन और दूसरा ऑनलाइन। यदि उद्दमी ऑफलाइन ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है तो उद्दमी रजिस्ट्रार ट्रेडमार्क ऑफिस में जाकर ऑफलाइन ट्रेडमार्क के लिए आवेदन जमा कर सकता है।
सबसे पहले उद्दमी को ट्रेडमार्क सर्च करने की आवश्यकता होती है कि जिस नाम, लोगो, डिजाईन, tagline का ट्रेडमार्क करवाने जा रहे हैं कहीं किसी दूसरे उद्दमी ने उस नाम, लोगो, डिजाईन, tagline आदि को पहले से रजिस्टर तो नहीं करा रखा है। ट्रेडमार्क सर्च करने के लिए आप इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। यदि आवेदक ऑनलाइन ट्रेडमार्क के लिए पंजीकरण करवाना चाहता है तो सबसे पहले आवेदक को ऑफिसियल वेबसाइट ipindiaonline.gov.in पर जाना होगा इसके बाद आप ऑनलाइन apply कर सकते हैं।
ऑनलाइन apply करने के बाद एप्लीकेशन की जांच होती है कि कहीं किसी दूसरे उद्दमी ने रजिस्टर्ड तो नहीं करा रखा है किसी को इस एप्लीकेशन को लेकर कोई आपत्ति तो नहीं है इन सब चीजों को चेक करने के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार कुछ समय भी लेता है।
यदि कोई भी आपत्ति नहीं मिलती है तो रजिस्ट्रार Trademark Journal में advertisement के लिए कहता है।
यदि अगले 4 महीनों में किसी व्यक्ति, उद्दमी या संस्था द्वारा कोई आपत्ति नहीं मिलती है तो अगले 6 महीनों में उद्दमी के logo या ब्रांड name का ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन हो जाता है इसके बाद उद्दमी अपने उत्पाद पर ™ चिन्ह का उपयोग कर सकता है। trademark registration की पूरी प्रक्रिया में डेढ़ से दो साल का समय लगता है इसके बाद उद्दमी को ट्रेडमार्क सर्टिफिकेट दिया जाता है जिसके बाद उद्दमी अपने उत्पाद पर ® चिन्ह का प्रयोग कर सकता है जिसकी वैधता 10 साल की होती है इसके बाद उद्दमी इसे Renewal करवा सकता है।
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Trademark Registration and Renewal Fee
नया ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आवेदक को अपने अनुरूप फॉर्म भरना पड़ता है जिसकी fees अलग-अलग होती है जो निम्न प्रकार से है-
- नए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए TM-1, TM-2, TM-3, TM-8, TM-51 आदि विभिन्न प्रकार के फॉर्म होते हैं आवेदक अपनी प्रकृति के हिसाब से ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करा सकता है जिसकी फीस 4500 रूपये निर्धारित की गई है।
- फॉर्म TM-5 Opposition Raise के लिए भरा जाता है भारत सरकार के द्वारा जिसका शुल्क 2500 रूपये निर्धारित किया गया है।
- रजिस्टर्ड किये हुए ट्रेडमार्क का रिन्यूअल करवाने के लिए फॉर्म TM-12 भरा जाता है जिसका शुल्क 5000 रूपये निर्धारित किया गया है।
- रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क की एक समाप्ति तिथि होती है उस समाप्ति तिथि के बाद यदि कोई उद्दमी अपने ट्रेडमार्क का रिन्यूअल करवाता है तो उसे फॉर्म TM-10 भरने की आवश्यकता होती है जिसका निर्धारित शुल्क 3000 है जो Surcharge के रूप में देना होता है।
- यदि किसी उद्दमी द्वारा कोई ट्रेडमार्क Remove किया जाता है तो उसे दुबारा रजिस्ट्रेशन करवाने हेतु 5000 रूपये का शुल्क निर्धारित किया गया है।
- यदि उद्दमी रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क में कोई सुधार करना चाहता है तो उसे फॉर्म TM-26 भरना पड़ता है जिसका निर्धारित शुल्क 3000 रुपया है।
official website पर ट्रेडमार्क का शुल्क घट-बढ़ सकता है अधिक जानकारी के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करने से पहले एक बार ipindia.gov.in की वेबसाइट पर अवश्य जाएँ।
निष्कर्ष
दोस्तों कहने का मतलब है की यदि आप अपने बिजनेस को अधिक उंचाई पर ले जाना चाहते हैं तो आपको ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन जरूर करवा लेना चाहिए क्योंकि मार्किट में यही आपकी पहचान को प्रदर्शित करता है। मुझे उम्मीद है कि आप Trademark Registration Process in Hindi के बारे में अच्छे से समझ गए होंगे। अगर आप चाहते हैं कि ऐसी ही नई-नई जानकारी आपको मिलती रहे तो आप इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करिए और हमे कमेंट करके बताइए कि आप और किस बिजनेस के बारे में जानना चाहते हैं धन्यवाद।
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